टूटी फूटी कहानियों का संग्रह - भाग 1 Sonu Kasana द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

टूटी फूटी कहानियों का संग्रह - भाग 1

एक बार एक छोटे से गाँव में एक बहुत ही शरारती लड़का रहता था जिसका नाम रमेश था। गाँव के लोग उससे परेशान रहते थे क्योंकि वह हमेशा किसी न किसी की नकल करता और लोगों को चिढ़ाने के लिए नई-नई तरकीबें निकालता रहता था। लेकिन कभी किसी को बहुत ज्यादा परेशान नहीं करता था।

एक दिन रमेश ने गाँव के सबसे बुजुर्ग और सम्मानित व्यक्ति, पंडित जी की नकल करने का सोचा। पंडित जी हमेशा धोती-कुर्ता पहनते थे और हाथ में एक लंबी छड़ी लेकर चलते थे। रमेश ने पंडित जी की तरह धोती-कुर्ता पहना और एक लंबी छड़ी लेकर गाँव में घूमने लगा। उसने अपनी आवाज़ को भी पंडित जी की तरह बदल लिया और लोगों को आशीर्वाद देने लगा।

गाँव के लोग रमेश की इस शरारत को देख कर हँस रहे थे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा क्योंकि वे जान चुके थे कि रमेश की शरारतें सिर्फ हँसी-मज़ाक तक ही सीमित होती हैं।

लेकिन तभी, असली पंडित जी गाँव में आए और उन्होंने देखा कि रमेश उनकी नकल कर रहा है। पंडित जी ने सोचा कि रमेश को सबक सिखाना चाहिए। अन्यथा वह गलत रास्ते पर जा सकता है। उन्होंने रमेश से कहा, "अरे, पंडित जी, आप तो बहुत ज्ञानी हैं, कृपया मुझे कुछ ज्ञान दें।"

रमेश ने भी पंडित जी की नकल करते हुए कहा, "बेटा, ज्ञान की बातें सुनने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए।"

पंडित जी ने कहा, "बहुत अच्छी बात कही, लेकिन यह बताओ कि अगर कोई सुबह उठने के लिए आलसी हो तो क्या करना चाहिए?"

रमेश ने थोड़ा सोचकर कहा, "उसको एक बार में ही सबक सिखाना चाहिए, ताकि वह दोबारा आलसी न हो।"

यह सुनकर पंडित जी मुस्कुराए और उन्होंने रमेश को कहा, "ठीक है बेटा, फिर तुम सुबह जल्दी उठने के लिए तैयार रहो, क्योंकि कल से मैं तुम्हें सुबह पाँच बजे उठाने आऊँगा।"

रमेश को समझ में आया कि उसकी शरारत अब उसके ही गले पड़ने वाली है। अगले दिन से पंडित जी ने सच में उसे सुबह पाँच बजे उठाना शुरू कर दिया। रमेश को अब हर दिन जल्दी उठना पड़ता था, और उसकी नींद पूरी नहीं हो पाती थी। कुछ ही दिनों में रमेश को समझ में आ गया कि शरारत करना आसान है, लेकिन हर शरारत की सजा भी होती है।

अंत में, रमेश ने पंडित जी से माफी माँगी और वादा किया कि वह अब किसी की नकल नहीं करेगा। इस घटना के बाद रमेश की शरारतें भी कम हो गईं और वह गाँव के लोगों के साथ अच्छे से पेश आने लगा।


गाँव के लोग इस बात पर खूब हँसते और कहते, "रमेश ने पंडित जी की नकल की, लेकिन असली सबक पंडित जी ने उसे सिखा दिया।"
वैसे भी किसी की नकल करना या किसी को परेशान करना अच्छी बात नहीं है रमेश को उसके किए की सजा मिल गई जो उसे जीवन भर एक अच्छी सीख के रूप में याद रहेगी कई बार इस तरह की सीख हमारे जीवन को पूरी तरह से बदलकर रख देती है।
इस तरह की और कहानी लेकर हम अगले अंक में फिर से हजिर होंगे। आप लोगों के फीडबैक की प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद।